Wednesday, 1 May 2013

जब मैं बेतहाशा चीख रही थी

जब मैं बेतहाशा चीख रही थी
तब तुम हैवानों से बने थे
कैसे नोचते खसोटते मुझे
तुम शैतानों से बने थे.

क्या तब भी भेडियों से बने थे
जब माँ का स्तनपान किया था ?
क्या तब भी यूँ ही वहशी नज़रें थीं
जब बहन को रक्षा का वचन दिया था?

क्या गलती थी मेरी
जो मेरे अंग खून से सने थे?
एक पल दया भी नहीं आयी
क्यों तुम हैवानों से बने थे??

जिधर भी नज़रें जातीं हैं
मै क्यों इससे सहम जाती !
मुझपे उठती हरेक नज़र
क्यों मुझे डराती ?

क्या ये मेरा घर है
जहाँ जानवर बसते हैं?
जो पता नहीं किस ख़ुशी के लिए
हमें बर्बाद कर हँसतें हैं!

क्या ये कसूर है हमारा
कि हमने उनको जन्म दिया?
जज्बातों से पाला जो
हमको ये ज़ख्म मिला!

उस समय दो पल तो सोच लेते
मेरे दर्द कितने घने थे!
जब मैं बेतहाशा रो रही थी
तो तुम क्यों हैवानों से बने थे ?
Arya 8124596624

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